ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन हमलों के बाद भारतीय सेना ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है। अब उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर एक ऐसा एडवांस रडार सिस्टम लगाया जाएगा जो दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही पकड़ लेगा और उसे तबाह कर देगा। यह रडार सिस्टम आकाशतीर से इंटीग्रेट होगा और हवाई हमलों को ट्रैक करके उन्हें मार गिराने में सक्षम होगा। सेना ने इसके लिए 45 लो लेवल लाइट वेट रडार और 48 एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार-ड्रोन डिटेक्टर्स के प्रस्ताव भी मांगे हैं।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने रात के अंधेरे का फायदा उठाकर भारत पर कई ड्रोन हमले किए थे। भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी से ज्यादातर ड्रोनों को तो हवा में ही मार गिराया, लेकिन कुछ ड्रोन सीमा पार करके रिहायशी इलाकों तक पहुंचने में कामयाब हो गए थे। अब सेना ने तय किया है कि दुश्मन की हर चाल को नाकाम करने के लिए एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जाए जो हर ड्रोन हमले को फेल कर सके।
भारतीय सेना अब उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर एक एडवांस रडार सिस्टम स्थापित करने जा रही है। इस रडार का सर्विलांस नेटवर्क इतना मजबूत होगा कि यह मुश्किल से मुश्किल हवाई हमलों को भी आसानी से ढूंढ कर ट्रैक करेगा और फिर उन्हें हवा में ही मार गिराएगा। यह सिस्टम इतना शक्तिशाली होगा कि दुश्मन का कोई भी ड्रोन या हवाई object बॉर्डर पार नहीं कर पाएगा।
आकाशतीर से होगा इंटीग्रेशन
नए रडार सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह रडार क्रॉस सेक्शन (RCS) की मदद से टारगेट को ढूंढने से लेकर ट्रैक करने और उसे खत्म करने का काम करेगा। इस एडवांस रडार सिस्टम को सेना के आकाशतीर एयर डिफेंस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिससे इसकी क्षमता और भी बढ़ जाएगी।

सेना ने मांगे प्रस्ताव
सेना ने ड्रोन को लेकर सप्लायर्स से जानकारी मांगी है। इनमें 45 लो लेवल लाइट वेट रडार (एन्हांस्ड)(LLLR-E) और 48 एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार-ड्रोन डिटेक्टर्स (ADFCR-DD) शामिल हैं। इसके अलावा 10 लो लेवल लाइट वेट रडार (इंप्रूव्ड) (LLLR-I) पर भी सेना ने प्रस्ताव मांगा है। यह एक तरह का सर्विलांस सिस्टम होगा, जो हवा में टारगेट को ट्रैक करके हवा में ही नष्ट कर देगा।
कैसे करेगा काम?
एडवांस रडार सिस्टम स्थापित होने के बाद सेना मुश्किल क्षेत्रों में भी दुश्मन पर नजर रख सकती है। इसकी रेंज 50 किलोमीटर होगी। यह रडार सिस्टम पहाड़ों की ऊंचाइयों से लेकर वीरान रेगिस्तान और तटीय इलाकों में दुश्मन को ट्रैक करने में भी मदद करेगा। यह रडार एक बार में 100 टारगेट को आसानी से ट्रैक कर सकता है। अब दुश्मन के लिए भारतीय सीमा में घुसपैठ करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या यह नया रडार सिस्टम सिर्फ ड्रोन के लिए है या अन्य हवाई खतरों का भी पता लगा सकता है?
नहीं, यह एडवांस रडार सिस्टम सिर्फ ड्रोन ही नहीं बल्कि किसी भी तरह के हवाई खतरे जैसे विमान, मिसाइल या अन्य हवाई objects का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। इसकी रेंज 50 किलोमीटर है और यह एक साथ 100 टारगेट को ट्रैक कर सकता है।
2. इस रडार सिस्टम को आकाशतीर से क्यों जोड़ा जा रहा है?
आकाशतीर भारत का एक एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम है। इससे इंटीग्रेशन के बाद नया रडार सिस्टम और भी ज्यादा powerful हो जाएगा। यह इंटीग्रेशन टारगेट को डिटेक्ट करने, ट्रैक करने और उसे मार गिराने की प्रक्रिया को और भी तेज और efficient बना देगा।
3. क्या यह सिस्टम हर तरह के मौसम और भूभाग में काम करने में सक्षम है?
जी हां, इस एडवांस रडार सिस्टम को विभिन्न भूभागों और मौसमी conditions में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। चाहे पहाड़ी इलाका हो, रेगिस्तान हो या फिर coastal area, यह सिस्टम हर जगह दुश्मन पर नजर रखने में सक्षम होगा।






















